सिंदरी(DHANBAD) : धनबाद जिले भर में आज वट सावित्री का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। गुरुवार को वट सावित्री की पूजा के लिए सुबह से ही सुहागन महिला अपने पति की लंबी आयु के लिए वटवृक्ष की पूजा करती हैं।
वहीं सिंदरी के शहरपूरा शिव मंदिर में सुबह से ही बरगद के पेड़ पर सुहागिनों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। जिसमें नैंसी राजवीर, प्रमिला श्रीवास्तव, सोनी शर्मा, श्वेता देवी, रीता देवी अन्य सुहागिनों ने वट के पेड़ के नीचे बैठकर पूरे विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की। पूजा के बाद महिलाओं ने एक-दूसरे को सिदूर लगाया।
बता दें कि महिलाएं वट की पूजा में अलग-अलग तरह से विधि विधान के साथ पूजा कर रही हैं। इस पूजा के पीछे ऐसी मान्यता है कि जिस प्रकार वट के पेड़ की आयु काफी लंबी होती है, ऐसे में महिलाएं इस पेड़ की आयु जैसी अपने पति की आयु के लिए वट के पेड़ से प्रार्थना करती हैं। इसके पीछे पुराणों में एक कहानी भी प्रचलित है। सुबह से ही महिलाएं बिना कुछ खाए पिये इस पूजन को करती हैं। कुछ महिलाएं इस व्रत को निर्जला करती हैं। वट की पूजा करने से ऐसी मान्यता है कि जीवन की सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं और वट के वृक्ष में साक्षात ईश्वर विराजमान रहते हैं। महिलाएं सुबह ही नहाकर नए वस्त्र पहन श्रृंगार करती हैं। मंदिरों में पांच तरह के फल और पकवान थाली में सजा कर पहुंची। वट वृक्ष पर पांच या सात बार हाथ में कलावा लेकर वृक्ष को लपेटते हुए परिक्रमा करती हैं। वटवृक्ष को जल प्रदान करके रोली, चंदन, अक्षत, पुष्प से पूजा करके सत्यवान और सावित्री जी की कथा मनोयोग से सुनी और सुनाई जाती है। मान्यता है कि सावित्री ने अपने पति सत्यवान के जीवन के लिए यमराज की पूजा बरगद पेड़ के नीचे की थी, इसलिए इस व्रत में वटवृक्ष की पूजा का महत्व है।
FNB 24 FAST NEWS BHARAT के लिए सिंदरी से ब्यूरो रिपोर्ट
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