
सिंदरी (धनबाद) : BIT सिंदरी में आयोजित सरहुल महोत्सव की भव्यता ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम में बी आई टी कल्चरल सोसाइटी के प्रोफेसर इंचार्ज डॉ. अजय उरांव के साथ प्रोफेसर उपेंद्र प्रसाद, प्रोफेसर डी.के. तांती, प्रोफेसर राजीव वर्मा, डॉ. जीतू कुजूर, डॉ. निशिकांत किस्कू, डॉ. अमर प्रकाश सिन्हा, डॉ. अमर कुमार, डॉ. जे.एन. महतो, डॉ. सागरम हेम्ब्रोम, प्रोफेसर बोइपाई और अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
समारोह की शुरुआत विधि-विधानपूर्वक पूजा स्थल पर प्रार्थना और प्रवचन के साथ हुई। इसके बाद अतिथियों का गर्मजोशी से स्वागत कर उन्हें अखड़ा ले जाया गया, जहां आदिवासी संस्कृति का जीवंत प्रदर्शन हुआ। इस दौरान प्रोफेसर भी खुद को रोक नहीं पाए और मांदर गले में टांगकर बजाने लगे। मांदर की थाप पर विद्यार्थियों, कर्मचारियों और स्थानीय लोगों ने झूम-झूमकर नागपुरी गीतों पर नृत्य किया, जिससे पूरा माहौल उत्साह और उल्लास से भर गया।
पूजा के दौरान पाहनो (पुजारी) द्वारा सरहुल की पारंपरिक पूजा विधि-विधानपूर्वक संपन्न कराई गई। इस अवसर पर प्रोफेसर अजय उरांव ने जिलेवासियों को सरहुल पर्व की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह पर्व हमें प्रकृति से जुड़ने और उसकी रक्षा करने का संदेश देता है। उन्होंने कहा कि आदिवासी संस्कृति प्रकृति प्रेम का प्रतीक है, जो हमें पर्यावरण संरक्षण का पाठ पढ़ाती है।
डॉ. जीतू कुजूर ने सरहुल पर्व के महत्व की विस्तृत जानकारी देते हुए इसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहलुओं पर प्रकाश डाला। वहीं, डॉ. उपेंद्र प्रसाद ने सभी झारखंडवासियों को सरहुल और ईद की शुभकामनाएं दीं।
कार्यक्रम का समापन दोपहर 1 बजे हुआ, जहां सभी ने प्रसाद ग्रहण कर पर्व की शुभकामनाएं दीं। यह आयोजन आदिवासी संस्कृति, प्रकृति प्रेम और सामूहिक उल्लास का एक सुंदर उदाहरण था।
FNB24 फास्ट न्यूज भारत के लिए ब्यूरो रिपोर्ट
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