
सिंदरी (DHANBAD) : उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की 144 वीं जयंती पर ज्ञान विज्ञान समिति व जनवादी महिला समिति (एडवा) ने संयुक्त रूप से संगोष्ठी आयोजित कर उनको याद किया। सर्वप्रथम उनके तस्वीर पर माल्यार्पण किया गया। इस अवसर पर अध्यक्षता करते हुए विकास कुमार ने कहा कि उपन्यास सम्राट प्रेमचंद की रचना-दृष्टि, विभिन्न साहित्य रूपों में, अभिव्यक्त हुई। वह बहुमुखी प्रतिभा के संपन्न साहित्यकार थे। प्रेमचंद की रचनाओं में तत्कालीन इतिहास बोलता है। उन्होंने अपनी रचनाओं में जन साधारण की जन भावनाओं, परिस्थितियों और उनकी समस्याओं का मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया है। उनकी कृतियां भारत के सर्वाधिक विशाल और विस्तृत वर्ग की कृतियां हैं। अपनी कहानियों से प्रेमचंद मानव-स्वभाव की आधारभूत महत्ता पर बल देते हैं। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से मेहनतकश जनता को अपील करते हैं कि “हमारे मुंह की रोटी कोई छीन ले, तो उसके गले में उंगली डालकर निकालना हमारा धर्म हो जाता है। संगोष्ठी की अध्यक्षता विकास कुमार ठाकुर, संचालन रानी मिश्रा ने किया। मौके पर राज नारायण तिवारी, प्रफुल्ल कुमार स्वैन्न, मुकेश कुमार, सूर्य कुमार सिंह, सविता देवी, मिठू दास, सीता देवी, राम लायक राम, गौतम प्रसाद, रंजू देवी आदि मौजूद थे।
FNB 24 फास्ट न्यूज भारत के लिए ब्यूरो रिपोर्ट
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